दहलीज़ का रिवाज़ , भी ग़ज़ब का हैं । सिर्फ़ , इक ही कदम का फ़र्क क्यूं हैं उस इक कदम , के फासलें का फैसला । या तो वो , दहलीज़ जानती हैं । या फ़िर उसको , पार करने वाला । खयालों की संगीन रेत , समेटना पड़ता हैं । ©Anuradha Sharma #dehleez #society #riwaaz #feelings #oneliner #urdu #shayri #yqquotes #Thoughts #Nojoto