कभी जब मेरे शहर आओ तो , हम से मुखातिब हो कर जाओ दो चार पल अपनी हमारे नाम कर जाओ कभी तजल्ली मुझे भी दिया करो, आए दोस्त हमसे खफा हो क्या ? एक बार तो गले लग जाओ । Atleast I tried । 🥺 Phoolon ki tajalli chor kar Kabhi kaante chuna karo Sunsaan si galiyon me Apna raasta chuna karo फूलों की तजल्ली छोड़ कर