तुम्हे मालूम है तुम धूप जैसे खिलती हो मुस्कुराती हो तो ईद का चाँद लगती हो घूंघट बादलों का क्यूँ ओढ़ रखा है तुमने हमारी नज़र न लग जाए क्या डरती हो FULL READ IN CAPTION 👇 * तुम्हें मालूम है * तुम्हे मालूम है तुम धूप जैसे खिलती हो मुस्कुराती हो तो ईद का चाँद लगती हो घूंघट बादलों का क्यूँ ओढ़ रखा है तुमने हमारी नज़र न लग जाए क्या डरती हो