तेरे मेरे दरमियांँ यह दूरियांँ कभी भी ना होती, गर हमारे रिश्ते में गलतफहमियांँ हुई ना होती। उठती ना कभी कोई शक की दीवार दिल में, गए हमारे रिश्ते में विश्वास की कमी ना होती। मेरी आवाज़ की ख़ामोशियाँ भी समझ लेते तुम, गर मेरी आवाज़ जानकर अनसुनी की ना होती। हर गिला शिकवा हम दोनों मिलकर मिटा लेते, गर हमारे रिश्ते में ऐसी यूँ खामोशियांँ ना होती। उठाते हम पर उंगलियां और दे देते हर इल्जाम, गर हमने तुम्हें समझने की कोशिश की ना होती। अपने प्यार के गुलशन को हम तुम सजा लेते, गर तुमने हमारी जिंदगी बेरंग बेनूर की ना होती। चाहत हो तुम ही हमेशा "एक सोच" के दिल की, गर चाह लेते तुम भी तो ये तस्वीर धुंधली ना होती। ♥️ Challenge-606 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।