मुझे दर्दों से हमदर्दी नहीं पर ख़ुदा का रहम हुआ था कभी शबनम-ए-लब उनका मेरे अज़ाब पे मरहम हुआ था कभी तेरे मयख़ाने में मिलावट या उनकी नज़रों में असर ज्यादा है ऐ साक़ी तेरी शराब का असर हमपर कम हुआ था कभी वो जो अजनबी है उसे बहोत क़रीब से जानता है दिल मैं उसका कुछ नहीं था पर वो मेरा हमदम हुआ था कभी तेरी आँखों का मशवरा ना माना दिल-ए-नादाँ ने ग़ाफ़िल लफ़्ज़ों पे यकीं का अफ़सोस नहीं पर ग़म हुआ था कभी हिज्र के लम्हों ने क्या ख़ूब बाँटवारा किया एहसासों का सुना है उनका मख़मली तकिया भी नम हुआ था कभी ये जो देर रात तक जागने की आदत है पैदायशी नहीं है 'क़ासिद' ख़ाबों के चलते नींदों का सिलसिला ख़तम हुआ था कभी #YQbaba #YQdidi #Gazal #Love #Life #Truth #Pain #Time शबनम - ओस - Dew अज़ाब - चोट - Wound मशवरा - सलाह - Advice ग़ाफ़िल - उपेक्षाकारी - Negligent हिज्र - जुदाई - Seperation