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"उसकी परिधि आँगन तक थी, वो घर की लक्ष्मी बन गई।।


"उसकी परिधि आँगन तक थी,
वो घर की लक्ष्मी बन गई।। 
जबकि उसे देश-दुनिया में,,
सही-गलत सीखने की छूट मिली,
वो कुल-दीपक भी न रहा"।। 

@poetryofsoul

©Shashank मणि Yadava "सनम"
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