"जड़वादी संस्कृति " जड़वादी संस्कृति के प्रतीक बन चुके हम और तुम गहरी जमी हैं जड़ें हमारी भीतर तक हिला नहीं सकता कोई तूफान कोई भूचाल जड़ें हैं जड़ें ही रहेंगे हम क्योंकि नहीं चाहते हम भूमि से निकल अलग दिखना भय है 'अस्तित्व' नष्ट हो जाने का इसलिए जँचता नहीं हमें नूतनता का आलिंगन नहीं करते हम 'नूतन अभिनंदन' 'जड़' बन 'जड़' बन चुके हम...! Muनेश...Meरी✍️ हम तुम सब जड़वत ही हैं...नहीं अपनाना चाहते नवीनता...भयभीत होते हैं परिवर्तन से...