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सांझ के आंचल में, जब सूरज ढलता है, धरती पर सोने क

सांझ के आंचल में, जब सूरज ढलता है, 
धरती पर सोने की चादर सा फैलता है। 
आसमान के रंगों में, सुनहरी लहरें खिलती हैं, 
प्रकृति की गोद में, मानो स्वर्णधारा बहती है।

©Nirankar Trivedi
  सांझ के आंचल में, जब सूरज ढलता है, धरती पर सोने की चादर सा फैलता है। आसमान के रंगों में, सुनहरी लहरें खिलती हैं, प्रकृति की गोद में, मानो स्वर्णधारा बहती है।#GoldenHour

सांझ के आंचल में, जब सूरज ढलता है, धरती पर सोने की चादर सा फैलता है। आसमान के रंगों में, सुनहरी लहरें खिलती हैं, प्रकृति की गोद में, मानो स्वर्णधारा बहती है।#GoldenHour #Poetry

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