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संसार की पतिव्रता और महान नारियों में माता गांधा



संसार की पतिव्रता और महान नारियों में माता गांधारी का विशेष स्थान है।
गांधारी गांधार के राजा सुबल की पुत्री और भाई शकुनि की बहन थीं।

गांधारी का विवाह हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र जो जन्म से नेत्रहीन थे के साथ हुआ।
गांधारी ने अपने पति के नेत्रहीन होने के कारण अपने इंद्रियसुख का त्याग किया।

गांधारी आजीवन नेत्रों पर पट्टी बांध कर रहीं अपने पतिव्रता धर्म का पालन किया।
गांधारी ने शिव जी की आराधना करके सौ पुत्रों को प्राप्त करने का वरदान पाया।

महर्षि व्यास ने गांधारी की सेवा से प्रसन्न होकर  पुत्र प्राप्त करने का उपाय किया।
उपाय से निन्यानबे पुत्र और एक पुत्री हुयी दु:शाला के नाम से जानी गई।

धृतराष्ट्र को युयुत्सु नामक पुत्र की प्राप्ति वैश्य जाति की सेविका से हुई।
युयुत्सु और निन्यानबे पुत्रों को मिलाकर  सौ पुत्र हो गए कौरव कहलाए।

दुर्योधन गांधारी का जेष्ठ पुत्र था जो बड़ा ही बलशाली और गदाधारी था।
महाभारत के युद्ध से पहले गांधारी ने उसे वज्र का बनाने का प्रयास किया था।

दुर्योधन को गांधारी ने नग्न अवस्था में अपनी आंखों के सामने आने को कहा था।
कृष्ण ने मंतव्य जानकर दुर्योधन को समझाया उसने पत्तों से अपनी जंघा को छुपाया।

जितने शरीर पर गांधारी की दृष्टि पड़ी उतना शरीर कठोर वज्र का हो गया।
बाकी का हिस्सा बज्र बनने से रह गया युद्ध में भीम ने जंघा पर प्रहार किया था।
-"Ek Soch"


  #yqbaba #yqdidi  #myquote #openforcollab  #collabwithmitali #mahabharat_charitra #माता_गांधारी


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गांधारी का विवाह हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र जो जन्म से नेत्रहीन थे के साथ हुआ।
गांधारी ने अपने पति के नेत्रहीन होने के कारण अपने इंद्रियसुख का त्याग किया।

गांधारी आजीवन नेत्रों पर पट्टी बांध कर रहीं अपने पतिव्रता धर्म का पालन किया।
गांधारी ने शिव जी की आराधना करके सौ पुत्रों को प्राप्त करने का वरदान पाया।

महर्षि व्यास ने गांधारी की सेवा से प्रसन्न होकर  पुत्र प्राप्त करने का उपाय किया।
उपाय से निन्यानबे पुत्र और एक पुत्री हुयी दु:शाला के नाम से जानी गई।

धृतराष्ट्र को युयुत्सु नामक पुत्र की प्राप्ति वैश्य जाति की सेविका से हुई।
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दुर्योधन गांधारी का जेष्ठ पुत्र था जो बड़ा ही बलशाली और गदाधारी था।
महाभारत के युद्ध से पहले गांधारी ने उसे वज्र का बनाने का प्रयास किया था।

दुर्योधन को गांधारी ने नग्न अवस्था में अपनी आंखों के सामने आने को कहा था।
कृष्ण ने मंतव्य जानकर दुर्योधन को समझाया उसने पत्तों से अपनी जंघा को छुपाया।

जितने शरीर पर गांधारी की दृष्टि पड़ी उतना शरीर कठोर वज्र का हो गया।
बाकी का हिस्सा बज्र बनने से रह गया युद्ध में भीम ने जंघा पर प्रहार किया था।
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