गम का अंधेरा मौत है गम का उजाला किस कदर मैंने उसको संभाला जिस कदर मैंने उसको संभाला उस कदर उसने मुझे मरवाही डाला। आई है नींद मुझे जाने के वास्ते मैने लिखा है कलम से तुझे रुलाने के वास्ते मत कर मुझ पर इतना एहसान कि मैं जाना सकु इस गम के आंसुओं को मैं भुला ना सकु। ।। पंकज ।। मेरी प्यारी सी बोल