व्यंग्य - मैं और अलाव --------------------------- अलाव पर जिधर भी बैठूँ धुआँ अदबद कर मेरी ही ओर आता है।मैं ठहरा सीधा साधा आम आदमी थोड़ा सा करकट भी झोंकने की सामर्थ्य नहीं।अगर होती तो एक ही जगह बैठ कर हाथ सेंक लेता।मुई ठण्ड भी बिना रिश्वत के दूर नहीं होती साहब।जिन लोगों की तरफ़ से धुआँ उठता है वो सलाह देते हैं भाई खिसक लो!अरे थोड़ा इधर आजाओ या उधर हो जाओ।धुआँ काहे रोक रहे हो।फूँक मार कर देख लो!किस किस की सुनूँ सोचा धुआँ है फूँक मार कर देखी जाए।जैसे ही भीतर साँस भरी फेंफड़ों तक धुआँ भर गया।दम घुट गया, जो बाहर फूँक निकली तो अलाव की राख उड़ गई।हाथ सेकने वाले लोग बोले क्या करते हो ? क्या आराम से बैठा नहीं जाता! कहते हुए थोड़ा पीछे हट गए।लेकिन कालिख़ फूँक मारने वाले के मुह। #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़महाप्रतियोगिता #नववर्ष2022 #विशेषप्रतियोगिता #kkपाठक_पुराण_पंछी