कहां हो गुम तुम आजकल ये दिल तुझे याद कर रहा क्यूं रहते इतना ख़ामोश तुम ये आंखें तुझे पढ़ने की कोशिश कर रहा मालूम नही मुझे क्या खता हुई मुझसे आख़िर इतना क्यूं, तुम बेरुखी दिखा रहा लौट आओ न ये दिल तुझे बेहद याद कर रहा मुश्किल नहीं है फिर क्यूं इतना तुम मुझे सता रहा तू जानता है न मुझे और समझते भी हो फ़िर क्यूं मुझे तुम रुला रहा आख़िर इतना क्यूं, तुम बेरुखी दिखा रहा टूट रही सिसे की तरह मैं फ़िर कैसे जुड़ पाऊंगी ख़ुद मैं ये दास्तां बयां दिल किए जा रहा उम्मीद बची नहीं कुछ भी यहां फ़िर भी सांसे तुमसे मोहब्बत किए जा रहा आख़िर इतना क्यूं, तुम बेरुखी दिखा रहा किस बात की सजा तुम मुझे दिए जा रहा वक़्त ने रुख है बदला या तुम मुझसे बेवफ़ाई किए जा रहा,,,,,,,,,,,,,,,,,,, 🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀 क्यूं खुदा ने दिए वो लकीरें जिनमें शामिल नाम नहीं तेरा