#आना तो था क्या बताऊ हाल प्रिय।।। प्रिय अभी जिम्मेदारियो से बँधा हुं दफ्तर मे कुछ लोगो से घिरा हुं प्रिय अभी जिम्मेदारियो से बँधा हुं दफ्तर मे कुछ लोगो से घिरा हुं उनकी भी कुछ फरियाद है शायद उस गरीब की मुझसे भी बड़ी आस है वो आए थे फ़टी चप्पल मे, जब तेज दोपहरी थी उनके माथे की लकीरे मेरे सुख से भी गहरी थी।। हो सकता है उनकी दुआ से चमत्कार हो जाए फिर क्या पता तुम सामने बैठीं हो और तुम्हारी बक-बक के साथ अदरक वाली चाय हो जाए... Tj.. . ©Ek Khayal दफ्तर