New Year 2024-25 पल्लव की डायरी छलनी है चाँद सितारे सूरज आभा हीन हुआ नक्षत्र ग्रह सब उलट पलट गये कूरता का बह्मांड में उदय हुआ दिन पल घटी कटते नही कटती है हर वर्ष नया लगता मगर उम्मीद का दामन छोड़ जाता है दाँव लगाने वाले,दुनियाँ जीतने निकले जल थल नभ पर उनका कब्जा है साख मानवता की सूखी पतझर बारह महीने झरता है नव जीवन कैसे फले फूले माली बगिया को मसले हुये है ढ़ाचे जिंदा जरूर दिखते लेकिन सोच समझ उत्साह रोज उनके व्यवस्था के आगे मरते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #NewYear2024-25 पतझर बारह महीने झरता है