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शब्दों की महिमा जग में बड़ी महान और अपरम्पार है।



शब्दों की महिमा जग में बड़ी महान और अपरम्पार है।
शब्दों से ही होता हमारा नाम और मिलती पहचान है।
 
हर शब्द अपने भावों और अहसासों से भरा होता है। 
शब्दों के जाल में उलझ कर, हर इंसान फंसा होता है।

कभी शब्द कानों में अमृत घोलते,कभी जहर से लगते हैं।
कभी कोई शब्द दिल के लिए जख्म बन नासूर हो जातें है।

किसी के खट्टे मीठे शब्द, कभी दिल को गुदगुदा जाते हैं।
कभी लबों पर हंसी और कभी आँखों में नमी ले आते हैं।

कभी कोई शब्द जख्मों पर, मरहम का काम कर जाते है।
शब्दों के अर्थ हम भी बोलने के अंदाज से लगा लेते हैं।

कुछ शब्द द्विअर्थी होकर हमारा मजाक भी बना देते हैं। 
हम भी कुछ शब्द अपने से बनाकर दिल में बसा लेते हैं। 

कभी मेरे शब्द अपनों को पराया बना दूर कर जातें हैं।
कभी मेरे कुछ शब्द परायों को भी अपना बना जाते हैं।

कभी दर्दों को छुपाते हैं, कभी सारे दर्द बयाँ कर जाते हैं।
शब्दों को संभाल कर बोलते हैं, मर्यादा का ध्यान रखते हैं।

लोग अपने हिसाब से हमारे शब्दों का अर्थ लगा लेते हैं। 
कभी-कभी शब्दों को ही हम अपना हथियार बना लेते हैं।

कोरा कागज ने ही शब्दों का संसार सजाना सिखाया है,
कोरा कागज से जुड़ कर ही हमने एक मुकाम पाया है। ♥️ Challenge-1000 #collabwithकोराकाग़ज़

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊

♥️ यह विशेष प्रतियोगिता है हज़ारवीं मुख्य प्रतियोगिता को सुन्दर बनाने के उपलक्ष्य में।

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।


शब्दों की महिमा जग में बड़ी महान और अपरम्पार है।
शब्दों से ही होता हमारा नाम और मिलती पहचान है।
 
हर शब्द अपने भावों और अहसासों से भरा होता है। 
शब्दों के जाल में उलझ कर, हर इंसान फंसा होता है।

कभी शब्द कानों में अमृत घोलते,कभी जहर से लगते हैं।
कभी कोई शब्द दिल के लिए जख्म बन नासूर हो जातें है।

किसी के खट्टे मीठे शब्द, कभी दिल को गुदगुदा जाते हैं।
कभी लबों पर हंसी और कभी आँखों में नमी ले आते हैं।

कभी कोई शब्द जख्मों पर, मरहम का काम कर जाते है।
शब्दों के अर्थ हम भी बोलने के अंदाज से लगा लेते हैं।

कुछ शब्द द्विअर्थी होकर हमारा मजाक भी बना देते हैं। 
हम भी कुछ शब्द अपने से बनाकर दिल में बसा लेते हैं। 

कभी मेरे शब्द अपनों को पराया बना दूर कर जातें हैं।
कभी मेरे कुछ शब्द परायों को भी अपना बना जाते हैं।

कभी दर्दों को छुपाते हैं, कभी सारे दर्द बयाँ कर जाते हैं।
शब्दों को संभाल कर बोलते हैं, मर्यादा का ध्यान रखते हैं।

लोग अपने हिसाब से हमारे शब्दों का अर्थ लगा लेते हैं। 
कभी-कभी शब्दों को ही हम अपना हथियार बना लेते हैं।

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