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हया का जो पर्दा हटाया हमने, दिन में जैसे रात हो गई

हया का जो पर्दा हटाया हमने, दिन में जैसे रात हो गई। 
आंखों से जो बरसे बादल लगा कि मानो बरसात हो गई।

जी रहे थे शर्म- ओ- हया के कफस में जाने कब से हम।
तूने जो गले लगाया, तो हमारी प्यार से मुलाकात हो गई। 

कहकशा-ए-इश्क़ जो तूने दिखाया, हमें जन्नत नसीब हो गई।
तोड़ के सारे रस्मो-रिवाज की जंजीरें, मैं बस तेरी ही हो गई। "अजीज/प्रिय"  "कातिबों/लेखकों"

👉आज की बज़्म/प्रतियोगिता के लिए आज का हमारा अल्फ़ाज़/शब्द है
👇👇👇
🌷"हया / حیا"🌷
🌺"Hayaa"🌺

👉तहरीर/मतलब- शर्म, लज्जा
हया का जो पर्दा हटाया हमने, दिन में जैसे रात हो गई। 
आंखों से जो बरसे बादल लगा कि मानो बरसात हो गई।

जी रहे थे शर्म- ओ- हया के कफस में जाने कब से हम।
तूने जो गले लगाया, तो हमारी प्यार से मुलाकात हो गई। 

कहकशा-ए-इश्क़ जो तूने दिखाया, हमें जन्नत नसीब हो गई।
तोड़ के सारे रस्मो-रिवाज की जंजीरें, मैं बस तेरी ही हो गई। "अजीज/प्रिय"  "कातिबों/लेखकों"

👉आज की बज़्म/प्रतियोगिता के लिए आज का हमारा अल्फ़ाज़/शब्द है
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🌷"हया / حیا"🌷
🌺"Hayaa"🌺

👉तहरीर/मतलब- शर्म, लज्जा