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बहुत रोका लेकिन रोक ही नहीं पाया, मुहब्बत बढ़ती ही

बहुत रोका लेकिन रोक ही नहीं पाया,
मुहब्बत बढ़ती ही गयी मेरे गुनाहों की तरह.. 
- Rahul Kavi muhabat bdhti gyi..
बहुत रोका लेकिन रोक ही नहीं पाया,
मुहब्बत बढ़ती ही गयी मेरे गुनाहों की तरह.. 
- Rahul Kavi muhabat bdhti gyi..
rahulkavi4076

Rahul Kavi

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