संस्कृतस्य प्रसाराय नैजं सर्वं ददाम्यहं |
संस्कृतस्य सदा भक्तो वन्दे संस्कृतमातरं ||
अर्थ- संस्कृत के प्रसार के लिए मैं निज का (अपना) सब कुछ देता हूँ (अर्पण करता हूँ) | मैं संस्कृत का सदा भक्त हूँ और संस्कृत माता की वंदना करता हूँ |
संस्कृतसप्ताहस्य द्वितीयदिवसस्य शुभकामनाः