बातों से तेरी मेरा, मन नहीं भरता है तेरी ही बातें सुनने, का जी करता है जब तेरी बातों को याद मैं करती हूँ तो तुझमे ही खोनेको दिल करता है ये दिल मेरा तब मचल सा उठता है जब बातोंमें तू हमे अपना कहता है तुम्हे मैं हांथों से, लिखूं या ना लिखूं इस दिल में बस एक, तू ही रहता है तुझसे तो मैं,कुछ कह नहीं पाती हूँ तुम से दिल लगाने को जी करता है दिन गुजरता है तुझसे बातें करने में फिर भी तुमसे, ये मन नहीं भरता है अपनी शायरियों में तुम को, छिपाया है लिखते ही लिखते, तुम्हे इश्क़ बताया है 👆👆👆👆👆👆👆👆 🔻 🔻 Kya mast imagination hai na 😂🤣😂🤣😂🤣😂🤣😂🤣😂 .