मृगतृष्णा वो सच के सारे वादे और झूठ के सारे नकाब अनगिनत ख्वाब (शेष अनुशीर्षक में) वो सच के सारे वादे और झूठ के सारे नकाब अनगिनत ख्वाब कड़वी सच्चाइयां उनींदी रातें बेरुखे से दिन रास्ते अनजाने से समुद्र सा गहरा खालीपन मीलों दूर तक सन्नाटा