अंधेरा जब हद से ज्यादा बढ़ने लगेगा तो खुद को जलाकर सूरज बना लूंगा। जीवन में हर कदम पर ही एक नई चुनौती है इसका हंसकर सामना करूंगा। चट्टानें जब हमारा रास्ता रोकने लगेंगी उनको काटकर अपनी राह बना लूंगा। जीवन है जब मेरा संघर्षों से भरा तो मैं अपने जीवन का एक लक्ष्य बना लूंगा। घबराऊंगा नहीं हार नहीं मानूंगा अपनी हार को ही जीत की सीढ़ी बना लूंगा। याद करेगी सारी दुनिया मुझको मैं अपने नाम का एक आसमान बना लूंगा। सौजन्य से:- साहित्यिक समाज 👉आइए आज लिखते हैं कुछ यह कोई प्रतियोगिता नही और न ही "साहित्यिक समाज" किसी भी कवि/ कवियित्रियों को हार जीत के तराज़ू में तौलने को इक्षुक है, यहाँ लिखने और सीखने में रुचि रखने वालों के लिए प्रत्येक दिन सिर्फ एक विषय दिया जाता है, जिसे वो अपने लेखनी के माध्यम से सजाते व सँवारते हैं। "साहित्यिक समाज" आप सभी कलमकारों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है। कृपया कोलाब करके Done✔️ कीजिए और अपने दोस्तों को भी कोलाब करने के लिए आमंत्रित कीजिए :-