(आक्रोश) शेर अब शिकार कर, दहाड़ना जरूरी है। साजिशों के चेहरों को, बिगाड़ना जरूरी है। गीदड़ अब झुंड मे जो औकात भूल बैठे है उनको उसी जमीन पर रगड़ना जरूरी है।। अविराम आक्रोश