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चाँद की रोशनी में कुछ यूँ तुम साथ रहो जैसे पुष्पो

चाँद की रोशनी में  कुछ यूँ तुम साथ रहो जैसे पुष्पों में सुगंध 
नदीतट बहे पवन अतिमंद 
प्रकृति में बसे प्रिय वसंत
कली में रसहर सु मकरंद चांद की रोशनी में
       ............किरन पुरोहित हिमपुत्री
चाँद की रोशनी में  कुछ यूँ तुम साथ रहो जैसे पुष्पों में सुगंध 
नदीतट बहे पवन अतिमंद 
प्रकृति में बसे प्रिय वसंत
कली में रसहर सु मकरंद चांद की रोशनी में
       ............किरन पुरोहित हिमपुत्री

चांद की रोशनी में ............किरन पुरोहित हिमपुत्री #कविता