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“पहला प्यार” अनुशीर्

               “पहला प्यार”
               अनुशीर्षक में पढ़ें       

 अक्सर हम जिंदगी में बहुत आगे बढ़ जातें है लेकिन कुछ घटनाएं जीवन में में कभी हमारा पीछा नहीं छोड़ती हैं। कुछ दिन पहले मैं मंझरी अपने शहर बनारस गई थी वहां एक दिन गौदोलिया से विश्वनाथ मंदिर दर्शन करने गई थी वहां के तंग गलियों से गुजरते वक्त किसी से टकरा गई, जब ध्यान से देखा तो पहचाने में देर ना लगी मेरे कॉलेज का एक दोस्त सुनील या यूं कहिए मेरा पहला प्यार से मुलाकात हो गई। दोनों के एक चेहरे पर मिलने की खुशी साफ झलक रही थी। हम लोग आपस में कुछ देर बात करते रहें उसके बाद कैफेटेरिया में बैठ कर बातें करने लगे। काफी पीते पीते हम अपनी यादों के झरोखों में चले गए, वो कॉलेज के दिन जब हमने एडमिशन लिया तो सबसे पहले सुनील से ही मुलाकात हुई उसके बाद बाकी दोस्तों से ही हेलो हुआ। धीरे धीरे हमारी दोस्ती प्यार में बदलने लगी साथ में हम वक्त बिताने लगे कभी क्लास में कभी लाइब्रेरी,कभी मंदिर, कभी लंका और कभी गंगा घाट। हम अक्सर लाइब्रेरी में घंटो बैठ बातें करते थे। हमारी बेस्ट फ्रेंड नीरजा सुनील को मन ही मन चाहती थी लेकिन मेरी दोस्ती के वजह से अपनी मन की बात शायद कभी कही नहीं। ये बात मुझे बहुत दिनो बाद पता चली। इसी वजह से वो धीरे धीरे मुझसे और सुनील से दूर होने लगी, और एक दिन अचानक उसकी तबियत खराब होने पर हमें उसे हॉस्पिटल ले जाना पड़ा। मैंने उसको बहुत समझाया एक तरफा प्यार अच्छा नही होता है। एक दो दिन हॉस्पिटल में रहने के बाद ठीक हो कर घर आ गई। वक्त के साथ धीरे धीरे पढ़ाई पूरी होने के बाद सब अपने कैरियर के चक्कर में दूसरे शहर में चले गए और अलग हो गए। मिलने का वादा किया जो कभी भी पूरा ना हो सका। आज इतने दिनों बाद वर्तमान में जब लौटी तो पीछे की सारी घटनाएं याद आ गईं। आज मैंने फिर सुनील से अपने दिल के बात उससे कही उसने भी मेरे हाथों की उंगलियों को पकड़ कर कहा कि आज भी वो मुझसे प्यार करता है। फिर हमने मिलने का वादा किया उसने पूछा कितने दिन यहां रुकना है, मैंने कहा एक सप्ताह के लिए आई हूं। मैं विदा लेकर घर चली आई। दो दिन बाद अचानक नीरज के शादी का कार्ड मुझे  मिला जिसमें सुनील का नाम देख कर मैं भौचक्का रह गई, मैंने तुरंत सुनील से मिलने की कोशिश की जिसने बताया कि मुझे अपना करियर के लिए बाहर जाना है और मां पापा जल्दी से शादी करा कर भेजना चाहते हैं। मैंने कहा तुम उनसे समय मांग सकते थे उसने समय ही तो नहीं है। मैंने अपने दिल को किसी तरह समझाया। नीरजा की शादी में पहुंची बाकी दोस्तों से भी मुलाकात हुई, उन दोनों को शुभकामनाएं देकर वापस लौट गई। वक्त और हालत को जानते हुए मैंने अपने आप से समझौता कर लिया।
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#restzone 
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               “पहला प्यार”
               अनुशीर्षक में पढ़ें       

 अक्सर हम जिंदगी में बहुत आगे बढ़ जातें है लेकिन कुछ घटनाएं जीवन में में कभी हमारा पीछा नहीं छोड़ती हैं। कुछ दिन पहले मैं मंझरी अपने शहर बनारस गई थी वहां एक दिन गौदोलिया से विश्वनाथ मंदिर दर्शन करने गई थी वहां के तंग गलियों से गुजरते वक्त किसी से टकरा गई, जब ध्यान से देखा तो पहचाने में देर ना लगी मेरे कॉलेज का एक दोस्त सुनील या यूं कहिए मेरा पहला प्यार से मुलाकात हो गई। दोनों के एक चेहरे पर मिलने की खुशी साफ झलक रही थी। हम लोग आपस में कुछ देर बात करते रहें उसके बाद कैफेटेरिया में बैठ कर बातें करने लगे। काफी पीते पीते हम अपनी यादों के झरोखों में चले गए, वो कॉलेज के दिन जब हमने एडमिशन लिया तो सबसे पहले सुनील से ही मुलाकात हुई उसके बाद बाकी दोस्तों से ही हेलो हुआ। धीरे धीरे हमारी दोस्ती प्यार में बदलने लगी साथ में हम वक्त बिताने लगे कभी क्लास में कभी लाइब्रेरी,कभी मंदिर, कभी लंका और कभी गंगा घाट। हम अक्सर लाइब्रेरी में घंटो बैठ बातें करते थे। हमारी बेस्ट फ्रेंड नीरजा सुनील को मन ही मन चाहती थी लेकिन मेरी दोस्ती के वजह से अपनी मन की बात शायद कभी कही नहीं। ये बात मुझे बहुत दिनो बाद पता चली। इसी वजह से वो धीरे धीरे मुझसे और सुनील से दूर होने लगी, और एक दिन अचानक उसकी तबियत खराब होने पर हमें उसे हॉस्पिटल ले जाना पड़ा। मैंने उसको बहुत समझाया एक तरफा प्यार अच्छा नही होता है। एक दो दिन हॉस्पिटल में रहने के बाद ठीक हो कर घर आ गई। वक्त के साथ धीरे धीरे पढ़ाई पूरी होने के बाद सब अपने कैरियर के चक्कर में दूसरे शहर में चले गए और अलग हो गए। मिलने का वादा किया जो कभी भी पूरा ना हो सका। आज इतने दिनों बाद वर्तमान में जब लौटी तो पीछे की सारी घटनाएं याद आ गईं। आज मैंने फिर सुनील से अपने दिल के बात उससे कही उसने भी मेरे हाथों की उंगलियों को पकड़ कर कहा कि आज भी वो मुझसे प्यार करता है। फिर हमने मिलने का वादा किया उसने पूछा कितने दिन यहां रुकना है, मैंने कहा एक सप्ताह के लिए आई हूं। मैं विदा लेकर घर चली आई। दो दिन बाद अचानक नीरज के शादी का कार्ड मुझे  मिला जिसमें सुनील का नाम देख कर मैं भौचक्का रह गई, मैंने तुरंत सुनील से मिलने की कोशिश की जिसने बताया कि मुझे अपना करियर के लिए बाहर जाना है और मां पापा जल्दी से शादी करा कर भेजना चाहते हैं। मैंने कहा तुम उनसे समय मांग सकते थे उसने समय ही तो नहीं है। मैंने अपने दिल को किसी तरह समझाया। नीरजा की शादी में पहुंची बाकी दोस्तों से भी मुलाकात हुई, उन दोनों को शुभकामनाएं देकर वापस लौट गई। वक्त और हालत को जानते हुए मैंने अपने आप से समझौता कर लिया।
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अक्सर हम जिंदगी में बहुत आगे बढ़ जातें है लेकिन कुछ घटनाएं जीवन में में कभी हमारा पीछा नहीं छोड़ती हैं। कुछ दिन पहले मैं मंझरी अपने शहर बनारस गई थी वहां एक दिन गौदोलिया से विश्वनाथ मंदिर दर्शन करने गई थी वहां के तंग गलियों से गुजरते वक्त किसी से टकरा गई, जब ध्यान से देखा तो पहचाने में देर ना लगी मेरे कॉलेज का एक दोस्त सुनील या यूं कहिए मेरा पहला प्यार से मुलाकात हो गई। दोनों के एक चेहरे पर मिलने की खुशी साफ झलक रही थी। हम लोग आपस में कुछ देर बात करते रहें उसके बाद कैफेटेरिया में बैठ कर बातें करने लगे। काफी पीते पीते हम अपनी यादों के झरोखों में चले गए, वो कॉलेज के दिन जब हमने एडमिशन लिया तो सबसे पहले सुनील से ही मुलाकात हुई उसके बाद बाकी दोस्तों से ही हेलो हुआ। धीरे धीरे हमारी दोस्ती प्यार में बदलने लगी साथ में हम वक्त बिताने लगे कभी क्लास में कभी लाइब्रेरी,कभी मंदिर, कभी लंका और कभी गंगा घाट। हम अक्सर लाइब्रेरी में घंटो बैठ बातें करते थे। हमारी बेस्ट फ्रेंड नीरजा सुनील को मन ही मन चाहती थी लेकिन मेरी दोस्ती के वजह से अपनी मन की बात शायद कभी कही नहीं। ये बात मुझे बहुत दिनो बाद पता चली। इसी वजह से वो धीरे धीरे मुझसे और सुनील से दूर होने लगी, और एक दिन अचानक उसकी तबियत खराब होने पर हमें उसे हॉस्पिटल ले जाना पड़ा। मैंने उसको बहुत समझाया एक तरफा प्यार अच्छा नही होता है। एक दो दिन हॉस्पिटल में रहने के बाद ठीक हो कर घर आ गई। वक्त के साथ धीरे धीरे पढ़ाई पूरी होने के बाद सब अपने कैरियर के चक्कर में दूसरे शहर में चले गए और अलग हो गए। मिलने का वादा किया जो कभी भी पूरा ना हो सका। आज इतने दिनों बाद वर्तमान में जब लौटी तो पीछे की सारी घटनाएं याद आ गईं। आज मैंने फिर सुनील से अपने दिल के बात उससे कही उसने भी मेरे हाथों की उंगलियों को पकड़ कर कहा कि आज भी वो मुझसे प्यार करता है। फिर हमने मिलने का वादा किया उसने पूछा कितने दिन यहां रुकना है, मैंने कहा एक सप्ताह के लिए आई हूं। मैं विदा लेकर घर चली आई। दो दिन बाद अचानक नीरज के शादी का कार्ड मुझे मिला जिसमें सुनील का नाम देख कर मैं भौचक्का रह गई, मैंने तुरंत सुनील से मिलने की कोशिश की जिसने बताया कि मुझे अपना करियर के लिए बाहर जाना है और मां पापा जल्दी से शादी करा कर भेजना चाहते हैं। मैंने कहा तुम उनसे समय मांग सकते थे उसने समय ही तो नहीं है। मैंने अपने दिल को किसी तरह समझाया। नीरजा की शादी में पहुंची बाकी दोस्तों से भी मुलाकात हुई, उन दोनों को शुभकामनाएं देकर वापस लौट गई। वक्त और हालत को जानते हुए मैंने अपने आप से समझौता कर लिया। #rzbirthday #restzone #rzturnstwoi2 #rzturnstwo #similethougths