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तुम्हारी इक छुअन से , न जाने क्या हो जाता है, सिहर

तुम्हारी इक छुअन से ,
न जाने क्या हो जाता है,
सिहर उठते है रोम-रोम ,
मन तुझ में खो जाता है ,
धड़कने बढ़ जाती है, 
साँसे हिलोरे भरती है ,
ह्रदय की नाद भी ,
संगम गीत गाती है ,
विलीन होकर अस्तित्व में तुम्हारे, 
एकाकारिता को पा जाती है ,
फिर जर्रे -जर्रे की हवा भी ,
प्रेम में शून्यता का आभास कराती है ,
मदमस्त होकर बहारों में ,
प्रेम की सर्वोच्चता बताती है ||

©Ayesha Aarya Singh #Chhuan #तुम्हारी इक #छुअन से ,
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