ग़ज़ल बढ़ गया इजतिराब का पौधा देखकर के शबाब का पौधा खूबियाँ ख़ामियाँ छुपा लेगा आदमी है नक़ाब का पौधा दिल जिगर में बबूल की झाड़ी हाथ में इंक़लाब का पौधा फूल जितने हैं खार भी उतने ज़िन्दगी है गुलाब का पौधा गर अधिक पी गये मरोगे ही दोस्ती है शराब का पौधा आँख से खून बेहिसाब गिरा "धर्म" टूटा जो ख्वाब का पौधा @ धर्मेन्द्र तिजोरी वाले "आजाद" #गुलाबकापौधा