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व्यवहारिकता भूल गए सब सहनशक्ति को खो बैठे ! पर्व औ

व्यवहारिकता भूल गए सब
सहनशक्ति को खो बैठे !
पर्व और अब उत्सव सारे
अपने मूल रूप को खो बैठे !

                                                 होली के हुड़दंग मिटाकर
                                                  गीत गोठ सब खो बैठे !
                                                  प्यार भरे दिल सूख गए सब
                                                  और अपनापन खो बैठे !

भाव मनभरे भूल गए सब
जीवन रस को खो बैठे !
यंत्र बने फ़िरते दिखते सब
मूल चेतना खो बैठे ! 💕☕सुप्रभातम मित्रो💕🙏
:
आज से 10 - 12 वर्ष पहले हमारे गाँव में जो होली खेली जाती थी आज मुझे बैसा कुछ नही दिखाई दिया । हाँ मेरी मित्र मण्डली आज भी अपनी पूरी मस्ती में दिखी । 
:
एक बार हम पड़ोस की भाभी चाची बगैरह के साथ होली खेल रहे थे ।तो उन्होंने हमको लट्ठों से कूट दिया ।कपड़े उतरवा लिए और मज़ाक़ बनाकर भगा दिया । पर हम कौनसी हार मानने वाले थे हमने ( क्रोंच की फली ) जो खुजली कर देतीं हैं एशियन पेंट के लाल रोगन में मिलाकर उनके ऊपर पूरा रोगन डाल दिया ।😂😂
अब तो वो खुजाएँ और रोगन छूटने का नाम न ले ।उन्होंने ख़ूब मिट्टी का तेल लगाया अपने शरीर और मिट्टी रगड़ी तब जाके राहत मिली उनको ।
ऐसी भयंकर होली हमने दुवारा नहीं खेली आज उन भाभियों ने वो किस्सा हमको सुनाया यादें ताजा हो गईं ।
पर उन्होंने कहा अब सब बदल गया है सहनशक्ति ख़त्म हो गई लोगों की । दर असल बात ये थी कि हमलोग जैसे ही सुबह 10 बजे गाँव पहुंचे मोहल्ले में झगड़ा हो गया ।झगड़े का कारण था पड़ोसी का लड़का मार्वल लगे मकान में कीचड़ फेंक गया ।😂😂
व्यवहारिकता भूल गए सब
सहनशक्ति को खो बैठे !
पर्व और अब उत्सव सारे
अपने मूल रूप को खो बैठे !

                                                 होली के हुड़दंग मिटाकर
                                                  गीत गोठ सब खो बैठे !
                                                  प्यार भरे दिल सूख गए सब
                                                  और अपनापन खो बैठे !

भाव मनभरे भूल गए सब
जीवन रस को खो बैठे !
यंत्र बने फ़िरते दिखते सब
मूल चेतना खो बैठे ! 💕☕सुप्रभातम मित्रो💕🙏
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आज से 10 - 12 वर्ष पहले हमारे गाँव में जो होली खेली जाती थी आज मुझे बैसा कुछ नही दिखाई दिया । हाँ मेरी मित्र मण्डली आज भी अपनी पूरी मस्ती में दिखी । 
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एक बार हम पड़ोस की भाभी चाची बगैरह के साथ होली खेल रहे थे ।तो उन्होंने हमको लट्ठों से कूट दिया ।कपड़े उतरवा लिए और मज़ाक़ बनाकर भगा दिया । पर हम कौनसी हार मानने वाले थे हमने ( क्रोंच की फली ) जो खुजली कर देतीं हैं एशियन पेंट के लाल रोगन में मिलाकर उनके ऊपर पूरा रोगन डाल दिया ।😂😂
अब तो वो खुजाएँ और रोगन छूटने का नाम न ले ।उन्होंने ख़ूब मिट्टी का तेल लगाया अपने शरीर और मिट्टी रगड़ी तब जाके राहत मिली उनको ।
ऐसी भयंकर होली हमने दुवारा नहीं खेली आज उन भाभियों ने वो किस्सा हमको सुनाया यादें ताजा हो गईं ।
पर उन्होंने कहा अब सब बदल गया है सहनशक्ति ख़त्म हो गई लोगों की । दर असल बात ये थी कि हमलोग जैसे ही सुबह 10 बजे गाँव पहुंचे मोहल्ले में झगड़ा हो गया ।झगड़े का कारण था पड़ोसी का लड़का मार्वल लगे मकान में कीचड़ फेंक गया ।😂😂