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अति सुंदर, गुजरात में महापर्व हुआ हमारे यहाँ भी मे

अति सुंदर,
गुजरात में महापर्व हुआ
हमारे यहाँ भी मेला लगा हुआ है 
हर ओर कुछ अद्भुत है।
आमंत्रण है मेरा, 
हमारे मेले में आईये 
वैचारिक स्वाद अनुसार लगभग सब कुछ पाइये 
साहित्य, प्रबंध, विज्ञान, विकास या 
जनसमुह के मस्तिस्क आकलन पर नोबल कृत पुस्तक 
आश्वाशन है प्रबुद्धता का
दौड़ ही पड़िए, वैतरणी है
पर,  लौट कर महत्मा बन जाइएगा
इस हेतू विचार कर लिया जाए कि,
कैसे आयेंगे!
संविधान के अनुरूप ज्ञान के 
या फिर, स्वतंत्र भारत के संज्ञान पे
या फिर नहीं आएंगे
बिगुल बजने पर टकराएंगे
अभी तो बस, नए-नए नुक्से अपनाएंगे
हाँ !
युद्ध छोड़ कर कैसे आयेंगे?
निश्चित ही ऐसे अनेक अवसर आयेंगे 
आते ही रहेंगे प्रसाद स्वरुप 
ग्रहण कर लिजियेगा, नहीं तो दोष होगा और, 
व्यस्तता में भी मंदिरो की दौड सभी राष्ट्र देखेंगे
महाशय !
राजनीति के तफरी के लिए ही आया जाए 
हजारों किलोमीटर दूर
स्वर्ग के मार्ग नरक को विस्मृत किए 
यहां भी राजनीति है 
पांच सितारा नहीं, चार सितारा
वर्ण गंगा है।

©vishnu prabhakar singh
  अंधों में काना राजा
#विप्रणु

अंधों में काना राजा #विप्रणु #समाज

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