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तू न मिल कभी विसाल को कि तुझसे रब्त मेरी तिश्नगी

तू न मिल कभी विसाल को 
कि तुझसे रब्त मेरी तिश्नगी का है
इस प्यास को अब जाने दे मेरे साथ क़ब्र तक
मेरी तस्कीन का न ख़याल कर तुझे वास्ता ख़ुदा का है 5/8/20
तू न मिल कभी विसाल को 
कि तुझसे रब्त मेरी तिश्नगी का है
इस प्यास को अब जाने दे मेरे साथ क़ब्र तक
मेरी तस्कीन का न ख़याल कर तुझे वास्ता ख़ुदा का है 5/8/20