इस संसार में रहते हुये मनुष्य सफलताओं के लिये नाना प्रयत्न करता है किन्तु उसकी निजी इच्छायें प्रायः परिस्थितियों की परतंत्रता के कारण पूर्ण नहीं होतीं। पूर्ण