दर्द कोई देता है तो थोड़ा तो खलता है पर बक्त पे हर किसी को यहां जबाब तो मिलता है बचकर रहना नजरों से अब अपना भी अपने से जलता है बदले है लोग आज के पर सूरज अब भी चाँद के लिए ढ़लता है महसूस होता है अपना दर्द उन्हें मगर दूसरे को दिया घाव भी चलता है पर बक्त पे हर किसी को यहां जबाब तो मिलता है अहसान जमाने का देखो जैसे कोई इनके अहसानो पे पलता है नासमझ हो क्या तुम,यहां हर कोई अपनी राह को खुद बुनता है अक्सर छूट जाती हैं मंजिलें फिर वो अपने सिर्फ हाथों को मलता है पर बक्त पे हर किसी को यहाँ जबाब तो मिलता है ©Vineet Dubey thoda to khalta hai #alone