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बहुत याद आती है वही गालियां वही सड़कें जहाँ से दिखत

बहुत याद आती है
वही गालियां वही सड़कें
जहाँ से दिखता था उसका घर
पहले बहुत सुकून से गुजरती थी
हर शामें यहीं
अब रात हो जाने को लगता है डर

©Ek Lamba safer with Adarsh  upadhyay
  रात हो जाने का लगता है डर

रात हो जाने का लगता है डर #Shayari

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