वो बचपन भी कितना खुशनसीब था ... न चिंता थी जीवन की ! न दूसरों से प्रतिस्पर्धा थी बस अपने मस्त चाल में चलते थे वह बचपन भी बड़ा सुहाना था । अब एक कार्य करने पर हजारों प्रश्न आ जाते हैं न जाने कौन यहां किसका परिंदा है ?? जब अपने ही दुश्मन बन जाते हैं ; मनुष्य व्याकुल होकर जीवन दर्शन ही अपना विस्मृत कर देता हैं ।। #thoughtoftheday #thamizhpakkam