खामोशी खामोशी के आंचल में जब में खामोश सी रहती हूँ देख कर आसमान को बस एक टक देखती हूँ उम्मीद की किरण जब थोड़ी भी दिखाई देती है तो उसके कदम चूम लेती हूँ।। अंधेरा है जहां में बहुत फिर भी उजाले की उम्मीद ढूंढ लेती हूँ हर बार हो खुशी जरूरी नही में तो गम में भी आँसूयो के साथ मुस्करा लेती हूँ।। यूं ही नही देखती आसमान को उसमे किसी की तस्वीरों को सजा देती हूँ किये थे वादे साथ निभाने के उन साथियो को तलाश लेती हूँ जब नही मिलता कोई देखने पर तो आंखों को झुका देती हूँ होते हैं आँसू जितने भी उन सभी को अकेले बैठ बहा देती हूँ।। आती है न जब याद उनकी तो बस खुदा को बोल देती हूँ यूं मत छुड़ाया कर साथ किसी का ए खुदा मिलाकर के किसी से बिछड़ कर जी नही पाती हूँ यूं तो किसी से कुछ नही कहती में कभी बस खुद से रूठ जाती हूँ आती है जब उनकी याद तो शाम को आसमान के नीचे बैठ जाती हूँ देखकर आसमान को खमोशी में समा जाती हूँ खामोशी के आंचल में थोड़ा सुकून पाती हूँ उनके आने की उम्मीद में वही पर पाती हूँ।। sonam sharma #akelapn #sukoon #citysunset