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अम्न और इंसानियत को भी इदारा चाहिए। डूबते इन साहिल

अम्न और इंसानियत को भी इदारा चाहिए।
डूबते इन साहिलों को अब किनारा चाहिए।।

मंदिर-ओ-मस्जिद रखो सब अपने-अपने पास अब,
हमको अपनी बस्तियों में भाईचारा चाहिए।।

हम तो दिल और जां उन्हें देने को राज़ी थे मगर,
कुछ सियासी भेड़ियों को सर हमारा चाहिए!

खुद को ताक़तवर समझते हैं उन्हें  ज़ोम-ए-वजूद,
और मुखा़लिफ भी इन्हें कमज़ोर हारा चाहिए।

सबकी नज़रों में खटकती है हमारी तिश्निगी,
सबको बस दरिया-ए-मय सारा का सारा चाहिए— % & #yqaliem #amn_insaniyat #idaara #bhaichara #dariya_e_mai #yqurduhindipoetry #yqurdu #zom_e_vajud

इदारा: institution
ज़ोम-ए-वजूद : Illusion of existence
दरिया-ए-मय: River of wine   

2122 2122 2122 212
अम्न और इंसानियत को भी इदारा चाहिए।
डूबते इन साहिलों को अब किनारा चाहिए।।

मंदिर-ओ-मस्जिद रखो सब अपने-अपने पास अब,
हमको अपनी बस्तियों में भाईचारा चाहिए।।

हम तो दिल और जां उन्हें देने को राज़ी थे मगर,
कुछ सियासी भेड़ियों को सर हमारा चाहिए!

खुद को ताक़तवर समझते हैं उन्हें  ज़ोम-ए-वजूद,
और मुखा़लिफ भी इन्हें कमज़ोर हारा चाहिए।

सबकी नज़रों में खटकती है हमारी तिश्निगी,
सबको बस दरिया-ए-मय सारा का सारा चाहिए— % & #yqaliem #amn_insaniyat #idaara #bhaichara #dariya_e_mai #yqurduhindipoetry #yqurdu #zom_e_vajud

इदारा: institution
ज़ोम-ए-वजूद : Illusion of existence
दरिया-ए-मय: River of wine   

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