Nojoto: Largest Storytelling Platform

रोते हुए एश्‍वर्यशाली प्रज्ञा चक्षु राजा धृतराष्‍ट

रोते हुए एश्‍वर्यशाली प्रज्ञा चक्षु राजा धृतराष्‍ट्र देखते ही आँसुओं से उनका गला भर आया पढ़िए महाभारत !! 🌅🌅{Bolo Ji Radhey Radhey}

महाभारत: स्‍त्री पर्व एकादश 
अध्याय: श्लोक 1-24 

📒 वैशम्‍पायन उवाच वैशम्‍पायन जी कहते हैं – राजन ! वे सब लोग हस्तिनापुर से एस ही कोस की दूरी पर पहुँचे होंगे कि उन्‍हें शरद्वान के पुत्र कृपाचार्य, द्रोणकुमार अश्‍वत्‍थामा और कृतवर्मा – ये तीनों महारथी दिखायी दिये, रोते हुए एश्‍वर्यशाली प्रज्ञाचक्षु राजा धृतराष्‍ट्र देखते ही आँसुओं से उनका गला भर आया और वे इस प्रकार बोले-पृथ्‍वीनाथ महाराज ! आपका पुत्र अत्‍यन्‍त दुष्‍कर कर्म करके अपने सेवकों सहित इन्‍द्रलोक में जा पहुँचा ह। भरतश्रेष्‍ठ ! दुर्योधन की सेनासे केवल हम तीन रथी ही जीवित बचे हैं। 

📒 आपकी अन्‍य सारी सेना नष्‍ठ हो गयी। राजा धृतराष्‍ट्र से ऐसा कहकर शरद्वान् के पुत्र कृपाचार्य पुत्र शोक से पीडित हुई गान्‍धारी से इस प्रकार बोले-देवि ! आपके सभी पुत्र निर्भय होकर जूझते और बहु-संख्‍यक शत्रुओं का संहार करते हुए वीरोचित कर्म करके वीरगति को प्राप्‍त हुए हैं।निश्‍चय ही वे शस्‍त्रों द्वारा जीते हुए निर्मल लोकोंमें पहुँचकर तेजस्‍वी शरीर धारण करके वहाँ देवताओंके समान विहार करते होंगे। उन शूरवीरों मे से कोई भी युद्ध करते समय पीठ नहीं दिखा सका है। किसी ने भी शत्रुके हाथ नहीं जोडे़ हैं। सभी शस्‍त्र के द्वारा मारे गये हैं। 

📒 इस प्रकार आपके शत्रुओं का रण भूमि में संहार करके हम तीनों भागे जा रहे है। अब यहाँ ठहर नहीं सकते। क्‍योंकि अमर्ष में भरे हुए वे महाधनुर्धर वीर पाण्‍डव वैर का बदला लेने की इच्‍छा से शीघ्र यहाँ आयेंगे। यशस्विनि ! अपने पुत्रों के मारे जानेका समाचार सुनकर सदा सावधान रहनेवाले पुरुष प्रवर पाण्‍डव हमारा चरणचिन्‍ह देखते हुए शीघ्र ही हम लोगों का पीछा करेंगे। रानीजी ! उनके पुत्रों और सम्‍बन्धियों का विनाश करके हम यहाँ ठहर नहीं सकते; अत: हमें जाने की आज्ञा दिजिये और आप भी अपने मन से शोक को निकाल दीजिये। 

📒 इस प्रकार युद्ध में जो शस्‍त्र द्वारा मृत्‍यु होती है, उसे प्राचीन महर्षि क्षत्रिय के लिये उत्‍तम गति बताते है; अत: उनके लिये आपको शोक नहीं करना चाहिये। महारानी ! उनके शत्रु पाण्‍डव भी विशेष लाभ में नहीं है। अश्‍वत्‍थामा को आगे करके हमने जो कुछ किया है, उसे सुनिये। भीमसेन ने आपके पुत्र को अधर्म से मारा है, यह सुनकर हम लोग भी पाण्‍डवों के सोते हुए शिविरमें जा पहुँचे और पाण्‍डव वीरों का संहार कर डाल। द्रु पद के पुत्र धृष्‍ट्द्युम्‍न आदि सारे पांचाल मार डाले गये और द्रौपदी के पॉंचों पुत्रों को भी हमने मार गिराया। 

📒 (फिर वे धृतराष्‍ट्र से बोले) राजन् ! आप भी हमें जाने की आज्ञा प्रदान करें और महान् धैर्यका आश्रय लें, केवल क्षात्र धर्म पर दृष्टि रखकर इतना ही देखें कि उनकी मृत्‍यु कैसे हुई है ? भारत ! राजा से ऐसा कहकर उनकी प्रदक्षिणा करके कृपाचार्य, कृतवर्मा और अश्‍वत्‍मामा ने मनीषी राज धृतराष्‍ट्र की ओर देखते हुए तुरंत ही गंगा तट की ओर अपाने घोड़े हाँक दिये। राजन् वहाँसे हटकर वे सभी महारथी उद्विग्‍न हो एक दूसरे से विदाले तीन मार्गों पर चल दिये।

📒 शरद्वान् के पुत्र कृपाचार्य तो हस्तिनापुर चले गये, कृतवर्मा अपने ही देशकी ओर चल दिया और द्रोणपुत्र अश्‍वत्‍थामा ने व्‍यास-आश्रम की राह ली। महात्‍मा पाण्‍डवों का अपराध करके भय से पीडित हुए वे तीनों वीर इस प्रकार एक दूसरे की ओर देखते हुए वहाँ से खिसक गये। राजा धृतराष्‍ट्र से मिलकर शत्रुओंका दमन करनेवाले वे तीनों महामनस्‍वी वीर सूर्योदयसे पहले ही अपने अभीष्‍ट स्‍थानों की ओर चल पड़े। राजन्! तदनन्‍तर महारथी पाण्‍डवों ने द्रोणपुत्र अश्‍वत्‍थामा-के पास पहुँचकर उसे बलपूर्वक युद्ध में पराजित कि‍या।

📒 इस प्रकार श्रीमहाभारत स्‍त्रीपर्व के अन्‍तर्गत जल प्रदानिक पर्व में कृपाचार्य, अश्‍वत्‍थामा और कृतवर्मा का दर्शनविषयक ग्‍यारहवॉं अध्‍याय पूरा हुआ।

©N S Yadav GoldMine
  #Aurora रोते हुए एश्‍वर्यशाली प्रज्ञा चक्षु राजा धृतराष्‍ट्र देखते ही आँसुओं से उनका गला भर आया पढ़िए महाभारत !! 🌅🌅{Bolo Ji Radhey Radhey}

महाभारत: स्‍त्री पर्व एकादश 
अध्याय: श्लोक 1-24 

📒 वैशम्‍पायन उवाच वैशम्‍पायन जी कहते हैं – राजन ! वे सब लोग हस्तिनापुर से एस ही कोस की दूरी पर पहुँचे होंगे कि उन्‍हें शरद्वान के पुत्र कृपाचार्य, द्रोणकुमार अश्‍वत्‍थामा और कृतवर्मा – ये तीनों महारथी दिखायी दिये, रोते हुए एश्‍वर्यशाली प्रज्ञाचक्षु राजा धृतराष्‍ट्र देखते ही आँसुओं से उनका गला भर आया और वे इस

#Aurora रोते हुए एश्‍वर्यशाली प्रज्ञा चक्षु राजा धृतराष्‍ट्र देखते ही आँसुओं से उनका गला भर आया पढ़िए महाभारत !! 🌅🌅{Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: स्‍त्री पर्व एकादश अध्याय: श्लोक 1-24 📒 वैशम्‍पायन उवाच वैशम्‍पायन जी कहते हैं – राजन ! वे सब लोग हस्तिनापुर से एस ही कोस की दूरी पर पहुँचे होंगे कि उन्‍हें शरद्वान के पुत्र कृपाचार्य, द्रोणकुमार अश्‍वत्‍थामा और कृतवर्मा – ये तीनों महारथी दिखायी दिये, रोते हुए एश्‍वर्यशाली प्रज्ञाचक्षु राजा धृतराष्‍ट्र देखते ही आँसुओं से उनका गला भर आया और वे इस #पौराणिककथा

27 Views