कश्मीर ऋषि काशप् की धरती, जिसका रंग अपने ही लालों के रंग लाल हुआ था, रात 19 जनवरी 1990, जिसकी सुबह आज भी नही हुई थी, 5 लाख कश्मीरी पंडितो से, शीन लिए थे आशियाने, घाटी देहली थी, गोलियो के शोर से, कश्मीरी पंडितो का कत्ले आम हुआ था, "घाटी शोडो, मुस्लिम बनो या फिर मरो" "कश्मीर में रेहना है, तो अलाह हु अकबर" कहना है, तब कोई बुढ़ा नही दिखा, ना बच्चा दिखा, ना औरत दिखी, ना किसी की बेटी दिखी, ऐसा ज़ुलम हुआ, की इस्लाम भी शर्मिदा हुआ। ऐसी साजिश रची थी, की दोस्त भी कातिल हुआ। सरकारे मोन थी, किसी ने माना ही नही, कश्मीरी पंडितो का नृसंघार हुआ। ©Munita Khajuria #India #Hindi #Nojoto #story #poem #Poetry #Life #Quote #Trending #KashmiriFiles Jugal Kisओर Praveen Storyteller