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शाम और इंतज़ार हमने ये शाम चिरागों से सजा रखी है, आ

शाम और इंतज़ार हमने ये शाम चिरागों से सजा रखी है, आपके इंतजार में पलकें बिछा रखी हैं, हवा टकरा रही है शमा से बार बार, और हमने शर्त इन हवाओं से लगा रखी है। हवा टकरा रही है शमा से बार बार
शाम और इंतज़ार हमने ये शाम चिरागों से सजा रखी है, आपके इंतजार में पलकें बिछा रखी हैं, हवा टकरा रही है शमा से बार बार, और हमने शर्त इन हवाओं से लगा रखी है। हवा टकरा रही है शमा से बार बार
aniltuli6144

Anil Tuli

New Creator