यह दिल जाने अनजाने में ख़्वाब सजाने लगा। कभी उनका तो कभी अपना हाल बताने लगा। मुद्दतों से जिसके इंतज़ार में ग़म हुए थे पैदा ! वह मुझसे मिलते ही अपना दर्द बताने लगा। ये कैसी रहमत करते हो तुम ए ख़ुदा मुझ पर ! जिसे पाया नहीं उसे खोने का डर सताने लगा। 🌝प्रतियोगिता-35 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌷"खोने का डर"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I