मुक़द्दर गर मेरे हांथो में खुदा देता| मोहब्बत हर आशिक को ये जां देता|| मुख़्तलिफ़ रह हैं हर मर्ज के सिफॅ को| काश दर्दे इश्क़ का भी कई दवा देता|| Mukaddar Gar Mere Hantho Me Khuda Deta Muhabbat Har Ashique ko Ye Jan Deta Mukhtalif Rah Hain Har Marj Ke Sifa Ko Kash Dard - e - Ishq ka Bhi Kai Dawa Deta Adnan Rabbani's Shayari • मुक़द्दर गर मेरे हांथो में खुदा देता| मोहब्बत हर आशिक को ये जां देता|| मुख़्तलिफ़ रह हैं हर मर्ज के सिफॅ को| काश दर्दे इश्क़ का भी कई दवा देता||