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यदा तदा यथा तथा तथैव कृष्णसत्कथा, मया सदैव गीयतां

यदा तदा यथा तथा तथैव कृष्णसत्कथा,
मया सदैव गीयतां तथा कृपा विधीयताम्।
प्रमाणिकाष्टकद्वयं जपत्यधीत्य यः पुमान्,
भवेत्स नन्दनन्दने भवे भवे सुभक्तिमान॥९॥

प्रभो! मेरे ऊपर ऐसी कृपा हो कि जहां-कहीं जैसी 
भी परिस्थिति में रहूँ, सदा आपकी सत्कथाओं का 
गान करूँ। जो पुरुष इन दोनों-राधा कृपाकटाक्ष व 
श्रीकृष्ण कृपाकटाक्ष अष्टकों का पाठ या जप करेगा, 
वह जन्म-जन्म में नन्दनन्दन श्यामसुन्दर की भक्ति 
से युक्त होगा और उसको साक्षात् श्रीकृष्ण मिलते हैं। #janmasthami #जन्माष्टमी
यदा तदा यथा तथा तथैव कृष्णसत्कथा,
मया सदैव गीयतां तथा कृपा विधीयताम्।
प्रमाणिकाष्टकद्वयं जपत्यधीत्य यः पुमान्,
भवेत्स नन्दनन्दने भवे भवे सुभक्तिमान॥९॥

प्रभो! मेरे ऊपर ऐसी कृपा हो कि जहां-कहीं जैसी 
भी परिस्थिति में रहूँ, सदा आपकी सत्कथाओं का 
गान करूँ। जो पुरुष इन दोनों-राधा कृपाकटाक्ष व 
श्रीकृष्ण कृपाकटाक्ष अष्टकों का पाठ या जप करेगा, 
वह जन्म-जन्म में नन्दनन्दन श्यामसुन्दर की भक्ति 
से युक्त होगा और उसको साक्षात् श्रीकृष्ण मिलते हैं। #janmasthami #जन्माष्टमी