पैरों पड़ी बेड़िया करे चीत्कार सुने न कोय। 'रूप की चंचला भीगे आँसूण में सुने न कोय। 'आंगन फैली गुड़हल लाली मेघ गरजे बिजुरी चमके शीत लहर चुभ-चुभ जाय। अंतद्वंद मन का सुने न कोय। मन का मेघ घुमड़-घुमड़ 'नयनों से बरस जाय। हे माधव.. फिर भी सुने न कोय। Khamosh Alfaz🤫🤫🤫🤫🤫🤫🤫🤫🤫🤫🤫🤫... हाँ आपको testimenial पसंद नहीं.... तो ये टेस्टीमेनियाल नहीं हैं आशमी... आपके माधव के लिए आपके भाव और खामोश अल्फाज़ की कुछ पंक्तियाँ हैं..!!!hope अच्छा लगा हो.. तो आप यु ही सदा हँसते मुस्कुराते रहो.. कृष्ण प्यारे आपको अंनत आकाश सी खुशियाँ दे... ❤️❤️🙏🙏 अपना ख्याल रखे.... 🍎🍎🍎👸.. यु ही अच्छी अच्छी कविता लिखती रहे आप आशमी.. Be positive & much more stronger ..always Keep smile 😊😊 Jai RAHE MOHAN 🙇♂️🙇♂️ _______________________ BG: PINTREST 🌿 --------------------------------