सुखी, नरम, घास के जलते अंगार, हवा में उछाले किसने, ये जो तुम आंतकवादी, आंतकवादी कहते हो, हरबंश, ये आंतकवादी बनाये किसने, गोशाला पर जात पात के ताले, लगाये किसने, गुमशुदा है आज भी तस्वीर में, औरत को देवी माँ बनाया किसने, सुना है हरबंश तुम इश्क करते हो कलम से, जिस्म से आगे इश्क को बताया है किसी ने, बगावत में दरकिनार कर दिये जाओगे, भगत सिंह को शहीद बताया है किसी ने, महफूज है ये पलके जब तक लाल नही, आँखों में उतर आया जलाल देखा है किसी ने, #हवाबदलीसीहै #बेहतरीन #बागी #विद्रोही #हरबंश सुखी, नरम, घास के जलते अंगार, हवा में उछाले किसने, ये जो तुम आंतकवादी, आंतकवादी कहते हो, हरबंश, ये आंतकवादी बनाये किसने, गोशाला पर जात पात के ताले, लगाये किसने, गुमशुदा है आज भी तस्वीर में,