चाहत अधूरी, उम्मीद पूरी जाने कैसा दौर आ गया। चाहा जिसे, मिला नहीं वो जाने कोई और आ गया। न सोचा कभी,न चाहत की पर ऐसा भी ठौर आ गया। ख़ुद से ख़ुदी दूर हो रहा हूँ क्यों ऐसा ये दौर आ गया। #chahtein