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खुद को वो अभी भी बबर शेर कहता हैँ. पर रहता हैँ

खुद को  वो अभी भी बबर  शेर  कहता हैँ.
पर  रहता हैँ वो  गीदड़ क़ी तरह  सहमा हुआ

बदला नहीं उसने अपने जीने का.अंदाज़.
दिखता हैँ वो हमेशा काल्पनिक  उड़ानो  मे  उड़ता हुआ

अपनी बात  कहनी हो तो आवाज़ अपनी बुलंद  रखता हैँ वो.
पर मै जानता हू भीतर अपने  हैँ वो डरा हुआ

©Arora PR
  बब्बर र  शेर
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Arora PR

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बब्बर र शेर #कविता

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