शाम और इंतज़ार ना जाने वो सुबह कब आयेगी जब गरीब के हिस्से में रोटी और दुखी के चेहरे पर मुस्कुराहट छाएगी। इंतज़ार उस पल का भी है मुझे जब बेटी घर की लाज से ज्यादा मा बाप के बुढ़ापे का सहारा और सुख दुख की वारिस मानी जाएगी । मां बाप को बोझ ना बना उनके संघर्ष के किस्से कहानियां सुनाई जाएगी। #Shaam #thought