नादां सा ख्व़ाब बुना था दिल ने, तुझे अपना बनाने का हरदम हरपल हरक्षण वही ख्व़ाब सजा रहे है दस्तूर ऐ मोहब्बत है इंतिज़ार इल्म़ था हमें इस बात का तिरी यादों से गुजर करके बस वही दस्तूर निभा रहे हैं पर विश्वास है इश्क के रसूलों पर मेरी मोहब्बत के सच्चे उसूलों पर मिलेगी पथिक को मंजिल तो कभी इसीलिए बेतहाशा राहों में चले जा रहे हैं #चौबेजी #बज़्म #nojoto #दस्तूर #शायरी