एक और फर्ज। रोजमर्रा की जिन्दगी मे। इंसानी ज़रूरतो से ऊपर। या कहे सबसे ऊपर। धैर्य और साहस की परीक्षा। हर रोज हर पल। उलझे अरमानों को छिपाए। परत दर परत। गृहस्थ जीवन से परे। नए फर्ज के साथ। समेट रखा है खुद को। या कहे सबको। कला भी ऎसी जो देखी नही। पढ़ ले न कोई सबकुछ.. फिर भी जिम्मेदारियों तले सहेजा है सबको या कहे पहले खुद को। Different perspective... 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 मेरे दिल में वे बसते, उनके दिल भारत बसता है। फौजी की पत्नी हूँ मेरे दिल में दो दिल बसता है। 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 जख्मी हो भारत तो आँखें,