इंसान को अभिमान से, ईमान को सम्मान से, स्नेह को नुक़सान से, और प्रेम को पहचान से... माँ ने ममता को पिता ने अच्छाई को चिड़िया ने आसमान को पेड़ ने धरती को सब ने कुछ न कुछ बचा लिया है हमारा फ़र्ज़ बनता है हम भी बचा लें कुछ और न सही तो शब्दों को ही।