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।। इसलिए लिख रहा माँ पवन आपको।। ले कलम लिख रहा मै

।। इसलिए लिख रहा माँ पवन आपको।।

ले कलम लिख रहा मैं चमन आपको।
माँ को धरती, पिताश्री गगन आपको।।

साँस तुमसे मिलीं, साँस तुमसे चलें,
इसलिए लिख रहा माँ पवन आपको।।

रूप काया मुझे मन भी सुंदर दिया।
हे जनक विश्वकर्मा नमन आपको।।

स्वर्ग-चरणी ह्रदय में दुआ ही दुआ।
गीत-भजनों में भजता ललन आपको।।

सुख का सागर मिले हर खुशी झूमकर,
और सुत जो मिले तो श्रवन आपको।।

हो अमर नाम युग-युग जहाँ में सदा।
हो मुबारक समां, अंजुमन आपको।।

गोद तेरी मिले मुझ को हर जन्म पर।
अंत तक मैं करूँ जय मनन आपको।।

संतोष बरमैया #जय #navratra_माँ_पवन_आपको
।। इसलिए लिख रहा माँ पवन आपको।।

ले कलम लिख रहा मैं चमन आपको।
माँ को धरती, पिताश्री गगन आपको।।

साँस तुमसे मिलीं, साँस तुमसे चलें,
इसलिए लिख रहा माँ पवन आपको।।

रूप काया मुझे मन भी सुंदर दिया।
हे जनक विश्वकर्मा नमन आपको।।

स्वर्ग-चरणी ह्रदय में दुआ ही दुआ।
गीत-भजनों में भजता ललन आपको।।

सुख का सागर मिले हर खुशी झूमकर,
और सुत जो मिले तो श्रवन आपको।।

हो अमर नाम युग-युग जहाँ में सदा।
हो मुबारक समां, अंजुमन आपको।।

गोद तेरी मिले मुझ को हर जन्म पर।
अंत तक मैं करूँ जय मनन आपको।।

संतोष बरमैया #जय #navratra_माँ_पवन_आपको